1 इस समय की सबसे क्रूर सच्चाई को न तो वाक्य की तरह लिखा जा पाना संभव हो पा रहा है और न ही एक सवाल की तरह कि 20 मई, 2010 की शाम ने हमारे प्यारे दोस्त प्यारे भाई आशीष भाई को हमसे अलग कर दिया है...
(साभार : नर्मदा बचाओ आंदोलन)
कॉपीराइट © 2010 शिरीष खरे. सर्वाधिकार सुरक्षित।