3 रहमत भाई बता रहे हैं कि "कल सुबह की ही तो बात है। मैं सब्जी खरीदने गया। उसने फोन पर पूछा कहाँ हो? मैनें जवाब दिया सब्जी मार्केट में। उसने कहा - वहीं रुकना मैं मिलने आ रहा हूँ। मैंने कहा घर आ जाओ। वह नहीं माना बोला मैं जल्दी में हूँ जोबट क्षेत्र (नर्मदा घाटी परियोजना के अंतर्गत एक बड़ी बॉंध परियोजना) में जा रहा हूँ, वहीं रुको में वहीं आ रहा हूँ। हमेशा की तरह ऊर्जा से भरपूर मुस्कराता चेहरा लिए वह आया। बात तो कुछ खास नहीं थी, बात पहले भी हुई थी तथा फोन पर भी हो सकती थी- एक सूचना का अधिकार अर्जी के बारे में। लेकिन शायद वह आखिरी बार मिलना चाहता था इसलिए आया। सब्जी मंडी में ही मुश्किल से 1 मिनिट की सक्षिंप्त चर्चा (वास्तव में चर्चा जैसा कुछ था ही नहीं) के बाद उसने कहा कि "मैं निकल रहा हूँ।" किसे पता था कि शाम तक वह हमसे इतनी दूर निकल जायेगा..."
(साभार : नर्मदा बचाओ आंदोलन)
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