6 मेधा पाटकर कह रही हैं कि "आशीष बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। नर्मदा बचाओ आंदोलन के अलावा वे देश के अनेक जन संगठनों के भी साथ थे। संघर्ष के साथ ही शिक्षा, सूचना का अधिकार तथा जैविक खेती में भी उनकी दखल थी। उन्होंने स्वीकार किया कि आशीष के असमय हमसे बिछुड़ जाने से एक खालीपन आया है। उन्होंने घाटी के युवाओं से आव्हान किया कि वे इस चुनौती की स्वीकार करें तथा आशीष की कमी को महसूस न होने दें।"
(साभार : नर्मदा बचाओ आंदोलन)
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