17 मई, 2010



















8

अगर आकड़ों के ऊंट पर सवार हुआ जाए तो 2000 से 2008 तक इलाके भर में कुल 1200 टांके बने। 2008 को संस्थान ने टांके बनाने के काम को नरेगा याने सरकारी स्तर पर जोड़ने की जन-वकालत छेड़ी और जीती। आज की तारीख तक नरेगा के जरिए जिले भर में ज्यादा नहीं तो कम-से-कम 50,000 टांके बनाए जा रहे हैं। कार्यकर्ताओं के मुताबिक नरेगा में टांके बनाने के काम सबसे पहले यही से शुरू हुए। यह कहते हैं आज बाड़मेर, जोधपुर और जेसलमेर जिलों सहित पश्चिमी राजस्थन भर में नरेगा का ज्यादातर पैसा टांके बनाने में ही खर्च हो रहा है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें